गरियाबंदछत्तीसगढ़

कृषि विभाग के द्वारा कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति, बड़े दुकानदारों के पहुंच से कोसों दूर…

गरियाबंद से विपिन कुमार सोनवानी जिला ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट

देवभोग न्यूज… खरीफ सीजन कि दस्तक के साथ ही क्षेत्र में उर्वरक तस्करी और बिचौलियों के गोरख धंधा को लेकर अखबारों में बार बार प्रकाशित कर शासन, प्रशासन को इनकी कालाबजारी पर रोक लगाने हेतु ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जिसके बाद गरियाबंद कलेक्टर भगवान सिंह उईके ने संज्ञान लेते हुए कृषि विभाग को फरमान जारी करते हुए इस तरह के खाद के कालाबाजारी को रोकने और कार्यवाही करने का निर्देश भी जारी कर दिया इसके बाद भी विभाग के द्वारा कार्यवाही के नाम पर  महज खानापूर्ति कि जा रही हैं। लिहाजा छोटे मोटे बिचौलियों के प्रतिष्ठानों में जांच कर सुर्खिया बटोर रही है। बड़े स्तर के व्यापारियों के प्रतिष्ठानों में जांच कि तो दूर कि बात है वहां तक पहुंच नहीं पा रहें हैं लिहाजा ये बिना कोई हिचकिचाहट से बेखौफ होकर करोबार कर अधिक मुनाफा कमा रहें है।

कृषि विभाग कि टिम ने एक दिन पहले अमलीपदर क्षेत्र और देवभोग क्षेत्र का औचक निरीक्षण किया जिसमें कुछ छोटे मोटे बिचौलियों पर कार्यवाही कर खानापूर्ति कि गई।

तीन दुकानों में जांच, दस्तावेज में पाई गई गड़बड़ी.. कृषि विभाग के टिम के द्वारा तीन दुकानों में जांच के बाद गड़बड़ी होने कि बात कहकर नोटिस थमाया गया दोषी पाए गए विक्रेताओं के खिलाफ बिक्री रजिस्टर में गड़बड़ी, स्टॉक व मूल्य सूची का प्रदर्शन न करना और बायोमेट्रिक सत्यापन से बेचना शामिल है।

बड़े विक्रेता कार्यवाही से कोसों दूर.. कृषि विभाग के टिम के द्वारा क्षेत्र में नामी खाद,बीज और दवाई के विक्रेता है वहां औचक निरीक्षण करना मुनासिब नहीं समझती अगर निरीक्षण में चले जाते है तो पहले से इन्हे सूचना मिल जाती है। विभाग से तगड़ी सेटिंग मानो या इनका सूचना तंत्र इन्हे आने से पहले ही सूचना मिल जाती है।

देवभोग, गोहरापदर, अमलीपदर और झाखरपारा में बड़े स्तर के खाद बीज और दवाई का कारोबार होता है । आधिकारी छोटे छोटे गांव पहुंच कर कार्यवाही का ठीकरा पिट रही है।लेकिन विभागीय अधिकारी न तो इनके बिक्री रजिस्टर के जांच करते है और न ही स्टॉक पंजी या मूल्य सूची का निरीक्षण करते है जिसके चलते ये क्षेत्र के नामी विक्रेताओं के द्वारा तगड़ी कमाई कर किसानों के अधिकार का हनन करते है।

छत्तीसगढ़ से उड़ीसा तक फैल रहा है तस्करी… सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ये बड़े कारोबारी सब्सिडी वाले छत्तीसगढ़ के उर्वरक को उड़ीसा के सीमावर्ती इलाकों में खपाते है इससे राज्य के भीतर उर्वरक कि कमी होने कि आशंका जताई जा रही है जिसके चलते खरीफ सीजन में किसानों कि और अधिक मुस्किले पैदा हो सकती है।

मक्के के बदले खाद का फार्मूला.. गोहरापदर क्षेत्र और अमलीपदर क्षेत्र के किसानों को ये व्यापारी ठगने का काम कर रहें है यहां मक्का के बदले खाद लेने कि बात कहकर मक्का को बिना मंडी टैक्स काटे दूसरे राज्य में खपाया जा रहा है और सरकार को चुना लगाया जा रहा है।

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