छत्तीसगढ़जशपुर नगर

अजय गुप्ता के तीखे सवाल, पूछा, ‘सेटअप 2008’ क्यों हो रहा नजरअंदाज? बोले, जल्द मुख्यमंत्री से मिलकर करायेंगे अवगत

शैलेंद्र कुमार सह संपादक की रिपोर्ट


छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग के ‘युक्तियुक्तकरण’ के फैसले ने एक बार फिर प्रदेश के शिक्षकों में असंतोष की चिंगारी भड़का दी है। सेटअप 2008 के विरुद्ध जारी इस कार्रवाई के विरोध में अब शिक्षक सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। जशपुर के समग्र शिक्षक फेडरेशन जिलाध्यक्ष अजय कुमार गुप्ता ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा कि वित्त विभाग द्वारा स्वीकृत और संचालित सेटअप 2008 के अनुसार ही राज्य के स्कूलों में शिक्षक पद स्वीकृत हुए हैं और वेतन आहरण हो रहा है, फिर भी शिक्षा विभाग अब शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) की आड़ में हजारों शिक्षकों के पद समाप्त करने की तैयारी कर रहा है।
जल्द मुख्यमंत्री से मिलकर करायेंगे अवगत
जशपुर के समग्र शिक्षक फेडरेशन जिलाध्यक्ष अजय कुमार गुप्ता ने कहा है कि युक्तियुक्तकरण की नीतियां काफी त्रुटिपूर्ण है। इस संबंध में जल्द ही फेडरेशन का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिलेगा और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायेगा। अजय गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में जिन निर्देशों के तहत युक्तियुक्तकरण हो रहा है, वो शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर देगा।

हर स्कूल से 1-1 पद खत्म करने की साजिश
राज्य की 43839 प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं में एक-एक शिक्षक का पद कम करने की कोशिश की जा रही है। गुप्ता ने चेतावनी दी कि यह प्रयास किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसी सेटअप के आधार पर नियुक्ति हुई थी, अब शिक्षकों को जानबूझकर “अतिशेष” घोषित किया जा रहा है।
केंद्र के बराबर वेतन नहीं, फिर RTE की जबरन व्याख्या क्यों?
अजय गुप्ता ने कटाक्ष किया कि जब छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को न केंद्र के बराबर वेतनमान मिलता है, न एरियर और न महंगाई भत्ता, तो फिर केंद्र के नियमों की जबरन व्याख्या राज्य पर क्यों थोपी जा रही है? उन्होंने इसे शिक्षकों के साथ अन्याय बताया।

53000 पद खाली, फिर भी पद घटाए जा रहे?
प्रदेश में लगभग 53,000 शिक्षकों के पद रिक्त हैं, ऐसे में पदों को कम करना और प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार से वंचित करना, सिर्फ एक राजनीतिक चाल प्रतीत होती है।

‘कमरे नहीं हैं’ तर्क भी खोखला
शासन द्वारा यह दलील दी जा रही है कि प्राथमिक स्कूलों में दो ही कमरे होते हैं, लेकिन हकीकत में अधिकांश स्कूलों में 5 कक्ष और अतिरिक्त कमरे भी बने हुए हैं, जहाँ कक्षावार पढ़ाई चल रही है। ऐसे में 1+2 शिक्षक पद स्वीकृति बिल्कुल तार्किक है।

शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य, शिक्षा प्रभावित
वर्ष भर 127 प्रकार के गैर-शैक्षणिक कार्य शिक्षा विभाग के शिक्षकों से कराए जा रहे हैं, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। सवाल उठता है कि क्या शिक्षक सिर्फ सर्वे, जनगणना, टीकाकरण और अन्य विभागीय कार्यों के लिए नियुक्त किए गए हैं?गौरतलब है कि पूर्व में जारी युक्तियुक्तकरण आदेश को बिना बदलाव के फिर से जारी किया गया है, जिसे लेकर पहले भी भारी विरोध हो चुका है। यदि एक सप्ताह के भीतर यह आदेश रद्द नहीं किया गया, तो प्रदेश भर में लंबे और निर्णायक आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

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