लखीमपुर खीरी से शरीफ अंसारी की रिपोर्ट
लखीमपुर खीरी। ब्लॉक नकहा के ग्राम पंचायत नकहा में 32 वर्षीय विकलांग युवक राहुल, जो जन्म से ही शारीरिक अपंगता और बोलने में असमर्थता जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है, सरकारी भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का शिकार बन गया है। राहुल को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत हुआ था, लेकिन अब वह अधूरे मकान में रहने को मजबूर है।
जन्म से शारीरिक लाचारी, अब भ्रष्टाचार की मार
राहुल के पिता अशोक के अनुसार, उनके पुत्र को आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 में लाभार्थी सूची में चुना गया। पात्रता सूची में राहुल का नाम क्रमांक 4 पर दर्ज था, और उसके नाम पर इण्डियन बैंक शाखा में आवास योजना की दो किस्तें भी हस्तांतरित की गईं। इस धनराशि से पिता अशोक ने राहुल के हिस्से की जमीन पर मकान का निर्माण कार्य शुरू किया।
हालांकि, जब तीसरी किस्त जारी होने का समय आया, तो पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी ने कथित तौर पर “नजराना-शुकराना” के नाम पर रिश्वत की मांग की। पिता अशोक द्वारा यह राशि देने में असमर्थता जताने पर अधिकारी ने मकान को अधूरा छोड़ दिया और राहुल को योजना के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।
पेंशन और राशन से भी वंचित
रिश्वत न देने के कारण केवल आवास की तीसरी किस्त ही रोकी नहीं गई, बल्कि राहुल को विकलांग पेंशन और राशन कार्ड के लाभों से भी वंचित कर दिया गया। ग्राम विकास अधिकारी ने राहुल के भाइयों के मकानों को आधार बनाते हुए जांच में मकान को अयोग्य ठहरा दिया, जबकि राहुल की स्थिति और उसकी विकलांगता पूरी तरह स्पष्ट है।
न्याय की गुहार पर लापरवाही का साया
राहुल के पिता ने जिलाधिकारी को लिखित शिकायत दी है, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि जब विकलांग और असहाय लोगों के अधिकारों की रक्षा नहीं की जा सकती, तो सरकारी योजनाओं का क्या औचित्य रह जाता है।
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