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रॉक गार्डन घूमना हुआ आसान: टूरिस्ट के लिए प्रवेश पूरी तरह फ्री

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चंडीगढ़ 
रॉक गार्डन बनाने वाले पद्मश्री नेकचंद का 101वां जन्मदिन सोमवार को मनाया जाएगा। इस मौके पर रॉक गार्डन में टूरिस्ट के लिए फ्री एंट्री होगी। दिन का पहला प्रोग्राम सुबह 11 बजे पद्मश्री नेकचंद सैनी को उनके जन्मदिन पर फूल चढ़ाकर याद करने का होगा। इसके बाद टूरिस्ट के एंटरटेनमेंट के लिए दूसरे प्रोग्राम शुरू होंगे। शाम 4 बजे पंजाबी सिंगर फिरोज खान गानों के साथ परफॉर्म करेंगे।
सबसे कीमती धरोहर, रॉक गार्डन के पीछे नेकचंद का घर, टूरिस्ट अनजान

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रॉक गार्डन सिर्फ अपनी कलाकृतियों, मूर्तियों और गुड़ियों के लिए ही मशहूर नहीं है, बल्कि यह जगह उस महान कलाकार नेकचंद सैनी की सोच, सादगी और जीवन के दर्शन का भी गवाह है। रॉक गार्डन में उनके ऑफिस में रखी मूर्तियां, कलाकृतियां और सामान टूरिस्ट के लिए आकर्षण का केंद्र हैं, लेकिन इन सबसे कीमती धरोहर वह घर है जिसे नेकचंद ने रॉक गार्डन के ठीक पीछे अपने हाथों से बनाया था। हैरानी की बात है कि आज भी कई टूरिस्ट को यह पता नहीं है कि नेकचंद अपनी ज़िंदगी के आखिरी सालों में वहीं रहते थे।

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नेकचंद का ऑफिस: यादों से भरा एक कमरा
रॉक गार्डन में नेकचंद के ऑफिस में आज भी पुरानी अलमारियां, बक्से, टीवी, पंखे, तस्वीरें, साइकिलें, एसी, कुर्सियां ​​और टेबल और उनके इस्तेमाल की हाथ से बनी गुड़िया रखी हैं। यहां नेकचंद का पुतला उनके सामान के साथ रखा गया है, जो टूरिस्ट को उस महान कलाकार के बहुत करीब ले जाता है।

1982 से गवाह हैं धर्मा
रॉक गार्डन में 1982 से काम कर रहे धर्मा ने घर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने नेकचंद के साथ लंबे समय तक काम किया और डेली अलाउंस पर काम करते थे। उन्होंने कहा कि नेकचंद ने यह घर बहुत लगन और सोच-समझकर बनाया था। धर्मा के मुताबिक, 2015 में अपनी मौत से पहले नेकचंद अपनी पत्नी के साथ इसी घर में रहते थे। यह घर उनके लिए सिर्फ़ रहने की जगह नहीं थी, बल्कि एक ऐसी जगह थी जहां वे अपनी कला और सादगी के साथ जीते रहे।
 
विदेश से आए आर्किटेक्ट और मेहमान भी इस घर में रुकते थे
नेकचंद सैनी के बेटे अनुज सैनी ने बताया कि यह घर 2000 से पहले बना था। उन्होंने कहा कि बाऊजी ने इस घर के बारे में बहुत सोचा था और 2013 से यहां रहने लगे थे। वे अपनी मौत से पहले तीन साल तक इस घर में रहे। घर का स्ट्रक्चर बहुत सिंपल है, इसमें कोई फ्लोर नहीं है, लेकिन दो बड़े कमरे और एक बड़ा हॉल है। सैनी ने बताया कि 2013 से पहले नेकचंद फाउंडेशन के आर्किटेक्ट और विदेश से आने वाले मेहमानों को भी यहां ठहराया जाता था। नेकचंद के जन्मदिन (2015 के बाद) पर होने वाले सेलिब्रेशन के दौरान, जो एंटरटेनर और आर्टिस्ट ज़्यादा दूर नहीं जा सकते, उन्हें भी इस घर में ठहराया जाता है।

भावनाओं से जुड़ा घर
अनुज सैनी ने बताया कि उन्हें इस घर में आकर हमेशा शांति मिलती है। पिता नेकचंद सैनी की हर याद, हर काम की चीज़ आज भी इस घर में संभालकर रखी गई है, जो इस जगह को सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि एक जीती-जागती धरोहर बनाती है।

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