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जांजगीर का 2025 का दुर्गा पंडाल देखिए 140 फीट गेट, शीशमहल, 35 फीट हीरों से सजी माँ दुर्गा की मूर्ति!

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दीपक यादव बिलासपुर संभाग ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट

जांजगीर जिले का इस बार का दुर्गोत्सव इतिहास में दर्ज होने जा रहा है। नैला में लगातार 42 वर्षों से परंपरा और आस्था के साथ मनाया जा रहा यह पर्व इस बार भव्यता, सुरक्षा और अद्भुत कला का अद्वितीय संगम बन गया है। इस बार का पंडाल म्यांमार के प्रसिद्ध श्वेत मंदिर की तर्ज पर तैयार किया गया है, जो शांति और ब्रह्मांड के केंद्र का प्रतीक माना जाता है। पंडाल का 140 फीट ऊँचा प्रवेश द्वार श्रद्धालुओं का स्वागत कर रहा है, जिसकी भव्यता देखने के लिए लोग दूर-दूर से पहुँच रहे हैं।

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इस विशाल पंडाल के अंदर चमचमाते शीशमहल का निर्माण किया गया है। शीशमहल में 35 फीट ऊँची माँ दुर्गा की भव्य प्रतिमा विराजमान है। प्रतिमा कमल पुष्प के ऊपर लक्ष्मी स्वरूप में स्थापित की गई है। माँ का श्रृंगार हीरे, मोती, सोना, चाँदी और नवरत्नों से किया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए दिव्य और अद्वितीय अनुभव बन रहा है। पंडाल की डिज़ाइन अक्षरधाम मंदिर की शैली पर आधारित है, जिसके भीतर बना शीशमहल दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है।

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इस आयोजन को विशेष बनाने के लिए कोलकाता के अंतरराष्ट्रीय कलाकार रियाज़ मोहम्मद और उनकी टीम ने रोशनी का अद्भुत जादू बिखेरा है। पंडाल के भीतर 7 अल्ट्रा प्रोजेक्टर लगाए गए हैं, जिनकी कीमत लगभग 3 करोड़ रुपये प्रति प्रोजेक्टर है। इन प्रोजेक्टरों से निकलती रंग-बिरंगी रोशनी और कलात्मक प्रस्तुति दर्शकों को स्वर्गीय अनुभूति करा रही है। वहीं, साउंड सिस्टम की जिम्मेदारी रायपुर के मशहूर मुकुंद साउंड को दी गई है, जिससे हर आरती, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का अनुभव और भी भव्य बन गया है।

सिर्फ भव्यता ही नहीं, सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया गया है। पूरे आयोजन स्थल पर सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन मॉनिटरिंग की व्यवस्था की गई है, जिसका कंट्रोल सीधे पुलिस कंट्रोल रूम से किया जा रहा है। इसके अलावा, सुरक्षा के लिए सैकड़ों अग्निवीर जवान, 200 वॉलेंटियर और 50 से अधिक निजी सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं।

आसपास के गाँवों और शहरों से लोग इसकी भव्यता और दिव्यता देखने पहुँचने लगे। पंडाल की सुंदरता इतनी अद्भुत है कि श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ पहुँचकर लगातार फोटो और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं। रात के समय जब रोशनी जगमगाती है, तो पूरा परिसर किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता।

22 सितंबर से 3 अक्टूबर तक माँ दुर्गा का दर्शन कराया जाएगा। इस दौरान लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। श्रद्धालु सुबह-शाम आरती, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होकर भक्ति और आस्था के इस अद्वितीय पर्व का हिस्सा बन रहे हैं।

इस बार का दुर्गोत्सव सिर्फ श्रद्धा और भक्ति का पर्व नहीं है, बल्कि यह जांजगीर जिले की कला, संस्कृति और सुरक्षा व्यवस्था का भी भव्य प्रदर्शन है। पंडाल की चमक, माँ का दिव्य स्वरूप और सुरक्षा की सख्त व्यवस्था मिलकर इस आयोजन को ऐतिहासिक बना रहे हैं। निस्संदेह, यह दुर्गोत्सव आने वाले वर्षों तक लोगों की स्मृतियों में एक अद्वितीय उदाहरण बनकर रहेगा।

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