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गरियाबंदछत्तीसगढ़

शाखा प्रबंधक, सुपरवाइजर और खरीदी प्रभारी के ऊपर धान खरीदी कि जिम्मेदारी, लेकिन अकेला खरीदी प्रभारी को कार्यवाही

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गरियाबंद से विपिन कुमार सोनवानी जिला ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट

सरकारी सिस्टम पर उठ राहा है गंभीर सवाल…

देवभोग न्यूज… देवभोग ब्लॉक के झाखरपारा सहकारी समिति के प्रभारी प्रबंधक चंदन सिंह राजपूत को 32.95 लाख मूल्य के 1063 क्विटंल धान गबन के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया गया। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि इस पूरे धान खरीदी में अकेला दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी को ही सम्पूर्ण जवाबदेही के चलते जेल भेजा गया यह सबसे बड़ा सवाल उठ रहा हैं, या फिर इसके पिछे सरकारी सिस्टम कि गहरी साजिश हैं।

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बता दें सहकारिता विभाग के अधिकृत अधिकारी पदुलोचन जगत के लिखित शिकायत के मुताबिक खरीदी वर्ष 2024/25 के दौरान प्रभारी प्रबंधक राजपूत ने 1063.20 क्विंटल धान का गबन किया जिसकी कीमत करीब 3295920 रुपए हैं। जिसके बाद थाना प्रभारी फैजल होदा शाह ने आरोपी पर शासकीय अमानत में खयानत और धोखाधड़ी के धारा अनुसार प्रबंधक के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर जेल भेजा गया।

अब सवाल यह उठता है कि पुरा धान खरीदी से लेकर परिवहन तक साखा प्रबंधक, सुपरवाइजर और खरीदी प्रभारी तीनों के संरक्षण में ही पुरा धान कि खरीदी से लेकर परिवहन का ज़िम्मा होता है। इसके बाद भी अकेले प्रभारी प्रबंधक जो एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं उसी के ऊपर ही क्यों कार्यवाही होती हैं जबकि धान खरीदी से लेकर परिवहन तक इन तीनों कि जवाबदेही होती हैं।

साल 2015 के खरीदी में भी झाखरपारा समिति में लगभग 3000 क्विंटल धान गायब पाया गया था और उस समय करीब 60 लाख कि हेराफेरी हुई थी जिसमें समितियों के छः लोगों को जेल जाना पड़ा था। जिसमें समिति प्रबंधक से लेकर ऑपरेटर साहित छह लोगों को जेल भेजा गया था।

तीन बार हुआ भौतिक सत्यापन.. प्रशासन के द्वारा धान खरीद से लेकर परिवहन तक भौतिक सत्यापन के लिए अधिकारी न्युक्ति कि थी जिसमें झाखरपारा सहकारी समिति में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के इंजीनियर सिदार थे और उनके द्धारा नवंबर, दिसंबर और जनवरी में तीन बार धान भौतिक सत्यापन किया गया उस समय धान कि कमी क्यों नहीं दर्शाया गया। और उसके बाद अचानक 1063.20 क्विंटल का गबन पाया जाता हैं और प्रभारी प्रबंधक को जेल भेज दिया जाता हैं। यह सोचने वाली बात है। कि अकेले प्रबंधक को किस तरह इस धान खरीदी में रगड़ा गया हैं।
बारदाना प्रभारी से लेकर फड़ प्रभारी कि भी होती हैं जिम्मेदारी.. पूरे धान खरीद में बारदाना प्रभारी से लेकर फड़ प्रभारी तक कि जवाबदेही होती हैं, जो वारदाना उपलब्ध कराते से लेकर स्टेक लगवाने कि जिम्मेदारी होती हैं लेकिन इनको क्यों क्लिन चिट दे दिया गया।

और सबसे बड़ी बात तो यह है कि धान खरीदी से लेकर परिवहन तक सहकारिता विभाग के अधिकृत अधिकारी के द्वारा अवलोकन करना होता है और अचानक धान का गबन को लेकर थाने में रिपोर्ट दर्ज होता है लेकिन उनके उपस्थिति में तीन बार भौतिक सत्यापन होता है और उस समय कैसे धान कि कमी नहीं पाई जाती यह सबसे बड़ा सवाल उठ रहा हैं।

  जांच प्रतिवेदन के आधार पर जो दोषी था उसको कार्यवाही हुई हैं जो सामने आई उसी के आधार पर कार्यवाही हुई रहीं बात भौतिक सत्यापन का जवाब मेरे पास नहीं है।

सहायक आयुक्त (ए.आर) गरियाबंद।

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