
सतना से जितेंद्र सिंह की रिपोर्ट
जिले में अवैध शराब की होती है पैकारी
शहर से लेकर गांव तक पानी की तरह बिक रही देशी और विदेशी शराब
सतना। मध्यप्रदेश के सतना जिले के ज्यादातर थाना क्षेत्रों में शराब के नए ठेके होने के बाद देशी और अंग्रेजी शराब की अवैध पैकारी धड़ल्ले से की जा रही है, आए दिन समाज सेवियों और युवाओं द्वारा अवैध जखीरे पकड़े जा रहे है यह पूरा खेल माफियाओं द्वारा आबकारी और संबंधित थानों की पुलिस से साठगांठ करके ही खेला जा रहा है। जहां हालात इस तरह के बन गए है कि पानी की तरह गांव और मोहल्लों में शराब बिकने लगी है। मैहर और सतना के चित्रकूट में शराब बंदी का ऐलान होने के बाद इन स्थानों में अवैध शराब बिक्री जोरो पर है, जो प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है।जिस पर यदि समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले दिनों में समाज के लिए स्थित चिंता जनक बन सकती है।
गौरतलब है कि प्रदेश के केबिनेट बैठक में धार्मिक नगरी मैहर और पवित्र नगरी चित्रकूट सहित प्रदेश के लगभग डेढ़ दर्जन से भी अधिक स्थानों में शराब की बिक्री पर 1 अप्रैल से पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन इन दोनों क्षेत्र सहित अन्य थाना क्षेत्रों में अवैध रूप से पानी की तरह जगह-जगह देशी-विदेशी शराब बिक रही है।
बताते चले कि जिले की अधिकांश देशी-विदेशी शराब दुकानों में रेट सूची भी चस्पा नही है और मनमानी दर पर शराब की विक्री की जा रही है।
छोटी दुकानों से अवैध शराब की बिक्री
पुष्ट सूत्रों के मुताबिक पुलिस और आबकारी अमला कई ठेकेदारों पर मेहरवान हैं आलम यह है कि कथित क्षेत्र के ठेकेदारों का नेटवर्क गांव और शहरों तक बहुत मजबूत है, शराब ठेकेदारों के गुर्गे चार पहियां व दो पहियां वाहनों से शराब उन छोटे-छोटे किराना व्यापारियों को पहुंचा रहे हैं जो नाम के लिए दुकान खोले है। जबकि इनकी ज्यादातर कमाई अवैध शराब की बिक्री पर ही निर्भर रहती है। इन अवैध जगहों की पूरी लिस्ट संबंधित ठेकेदार द्वारा पुलिस थाने और आबकारी विभाग को सौंपी जाती है।
थानेदारों और आबकारी निरीक्षको का महीना फिक्स
सूत्रों के मुताबिक जिले के थानों में पदस्थ थानेदारों का और संबंधित क्षेत्र के आबकारी निरीक्षक का हर पैकारी वाली जगह की बिक्री के अनुसार महीना फिक्स रहता है,जो 500 से लेकर हजारों तक होता है, रुपया उगाही की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के बीट प्रभारी की होती है। हालांकि लेन देन का यह पूरा खेल ठेकेदार ,पुलिस और आबकारी इंस्पेक्टर के बीच ही रहता है, जिसका लेना देना गांव और मोहल्लों में अवैध शराब बेचने वालों से नहीं होता ।
गांव तो दूर शहर में होती है दिनदहाड़े पैकारी
सिटी कोतवाली , कोलगवा और सिविल लाइन थाने जहां से बराबर उच्चाधिकारिओ का आना जाना लगा रहता है फिर भी इन्हीं थाना क्षेत्रों में संचालित शराब की दुकानों से बेधड़क दिनदहाड़े फोर व्हीलर और टू व्हीलर वाहनों से अवैध शराब की खेफें भेजी जाती है जिनको कभी कभार पुलिस तो पकड़ लेती है ,लेकिन जिस आबकारी विभाग का वास्तविक काम है वह तो साल भर धृष्ट्रराष्ट्र की भूमिका बनाए रहता है