
गरियाबंद से विपिन कुमार सोनवानी जिला ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट
गरियाबंद/राजिम। पितईबंद रेत खदान में कवरेज के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले को लेकर पूरे गरियाबंद जिले के पत्रकारों में आक्रोश फैल गया है। रविवार को राजिम के पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक मीडिया के रणक्षेत्र में तब्दील हो गया, जहां लगभग 50 से अधिक पत्रकार एकजुट होकर धरने पर बैठ गए हैं। इनकी मांगें स्पष्ट हैं हमले के आरोपियों पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया जाए, खनिज अधिकारी रोहित साहू को तत्काल निलंबित किया जाए और जिले भर में संचालित सभी अवैध रेत खदानों को बंद किया जाए।
इस हमले ने न केवल पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासनिक भूमिका को लेकर भी कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया है। पत्रकारों का कहना है कि जब वे पितईबंद की अवैध खदान की कवरेज करने पहुंचे, तब माफियाओं ने उन पर हमला कर दिया। घटना में मारपीट हुई, दो राउंड हवाई फायरिंग की गई और अन्य हथियार भी दिखाए गए। हमले के बाद पत्रकारों ने तीन किलोमीटर तक दौड़कर अपनी जान बचाई और करीब एक घंटे तक खेतों में छिपे रहे।
हालांकि, पुलिस प्रशासन का कहना है कि हमले में शामिल चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन पत्रकार इससे संतुष्ट नहीं हैं। उनका आरोप है कि खनिज अधिकारी रोहित साहू को मौके पर आने के लिए कई बार कॉल किया गया, पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक स्थल पर पत्रकारों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है। मीडिया के कैमरे लगातार लाइव कवरेज कर रहे हैं और नारे गूंज रहे हैं हमला सहेंगे नहीं रेत माफिया हटाओ खनिज अधिकारी को बर्खास्त करो
अब पूरे जिले की निगाहें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा पर टिक गई हैं। पत्रकारों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे धरना स्थल से हटने वाले नहीं हैं।
इस घटना ने पूरे छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। सवाल यह है कि क्या पत्रकारों की कलम माफियाओं की बंदूक से कमजोर पड़ जाएगी? या अब शासन-प्रशासन इस हमले को निर्णायक मोड़ पर ले जाएगा
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