छत्तीसगढ़

डिप्टी सीएम अरुण साव का औचक निरीक्षण, भारतमाला परियोजना की गुणवत्ता पर दिया जोर

रायपुर। उप मुख्यमंत्री अरुण साव आज अचानक निर्माणधीन रायपुर-विशाखापट्टनम एक्सप्रेसवे का औचक निरीक्षण करने अभनपुर पहुंचे, यहां उन्होंने निर्माणधीन ओवरब्रिज एवं सड़क का निरीक्षण किया। इस दौरान भारत माला प्रोजेक्ट एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने सबसे पहले अभनपुर में निर्माणाधीन ओवरब्रिज कार्य का औचक निरीक्षण किया। मौके पर उपस्थित अधिकारियों से निर्माण की गुणवत्ता की जानकारी ली। साथ ही कार्य को निर्धारित समय अवधि में पूर्ण करने की बात कही।

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इस दौरान अधिकारियों ने एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट कार्य की संपूर्ण जानकारी दी। डिप्टी सीएम अरुण साव ब्रिज निरीक्षण के बाद ग्राम पंचायत भेलवाडीह के पास पहुंचे, यहां उन्होंने सड़क निर्माण के संबंध पूछताछ की। इस दौरान अधिकारियों से सड़क निर्माण में उपयोग की जा रही सामग्री की गुणवत्ता की जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि, निर्माण में सभी मानकों का ध्यान रखा गया है। उप मुख्यमंत्री साव ने निरीक्षण के बाद कहा कि भारत सरकार की यह क्रांतिकारी परियोजना है, इसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा। इस हाइवे के बन जाने के बाद विशाखापट्टनम जाने में लंबी दूरी तय करना नहीं पड़ेगा। साथ ही यह आर्थिक गलियारा के रूप में महत्वपूर्ण साबित होगा।

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गौरतलब है कि, रायपुर से विशाखापट्टनम तक 464 किमी लंबा 6 लेन का एक्सप्रेसवे का अधिकतर कार्य पूर्ण हो गया है। इस एक्सप्रेसवे के जरिए छत्तीसगढ़ से ओडिशा होते हुए आंध्र प्रदेश पहुंच सकेंगे। यह रायपुर को धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरापुट और सब्बावरम शहर को जोड़ेगा। यह एक्सप्रेसवे विशाखापट्टनम बंदरगाह पर समाप्त होगा। इसका निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 किमी सड़क निर्माण किया जा रहा है.

इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्सलेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमीनें अधिग्रहित की है. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया था.

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा. इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

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