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एक तरफ योगी जी की सरकार अपराध मुक्त भय मुक्त प्रदेश बनाने में लगी है वही कार्यपालिका की अधिकारी व कर्मचारी सरकार को लगा रहे पतिला

लखीमपुर खीरी से शरीफ अंसारी की रिपोर्ट

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उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के दावों को थानों में चल रही ठेकेदार प्रथा चूर चूर करने में लगे है।

लखीमपुर खीरी के निघासन थाने में चल रही ठेकेदारी अपराधों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। जिनके हाथों में सुरक्षा की कमान है, वहीं अपराधियों के सरपरस्त बने हुए हैं। प्रत्येक चौकी पर एक पुलिस कर्मी को ठेकेदार बनाया जाता है। थाने व चौकी में लेनदेन व खर्चे से संबधित कार्य ठेकेदार के जिम्मे होते हैं। कहां से कितना पैसा लेना है, महीने का खर्च व पैसे का बंटवारा सब उसकी सरपरस्ती में चलता है।इस उपाधि की दौड़ में पुलिस कर्मियों में आपसी टकराव भी होता है।

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इसमें बोलबाला उसी पुलिसकर्मी का रहता है जिसकी पहुंच लंबी होती है। इस पद को पाने के लिए कई पुलिस कर्मी जोर लगाते हैं। ऐसे में थानों  व चौकियों में बुरा हाल है।अधिकांश थानों में ठेकेदार अवैध धंधा कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसकी एवज में मोटी उगाही तक होती है। बदले में अवैध धंधा करने वालों को पुलिस संरक्षण देती है।

ये शराब, जुआ, सटटेबाजी, अवैध फैक्ट्री बालू खनन मिट्टी से लेकर हर किस्म के अवैध धंधे कराते हैं।हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि थानों के खर्च पूरा करने व अतिरिक्त कमाई के लिए ठेकेदार थाने में आने वाले मामलों में खुलकर दखल देते हैं। इतना ही नहीं किस मामले में कार्रवाई होनी है या किस मामले में फैसला होना है।अधिकांश मामलों में ठेकेदार का पूरा दखल रहता है। थाना व चौकी क्षेत्रों में चलने वाले अवैध धंधे को लेकर समय समय पर कार्रवाई भी होती है। ये कार्रवाई उगाही की रकम बढ़ाने के लिए की जाती है। साथ ही कार्रवाई के बाद उच्च अधिकारी भी खुश हो जाते हैं। ऐसे में थानेदार व ठेकेदार एक तीर से दो निशाने कर लेते हैं।

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