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AIIMS भोपाल में स्ट्रोक मरीजों के लिए राहत, अब 24 घंटे में थक्का निकालने की सुविधा

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 भोपाल 

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एम्स भोपाल में अब एडवांस्ड स्टोक टीटमेंट यूनिट शुरू की गई है। जहां बिना ओपन सर्जरी ब्रेन की बंद धमनी से थक्का (क्लॉट) निकालकर रक्त प्रवाह सामान्य किया जाएगा। इस तकनीक से मरीज की जान बचाना संभव होगा। विशेषज्ञों के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण दिखें तो 60 मिनट के भीतर अस्पताल पहुंचे। यह मध्य भारत में अपनी तरह की पहला केन्द्र होगा। यहां न्यूरोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन और क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट की टीम 24 घंटे मौजूद रहेगी। एम्स के कार्यपालक निदेशक डॉ. माधवानंद कर ने कहा कि स्ट्रोक के लक्षणों की तुरंत पहचान और अस्पताल पहुंचकर जीवन को बचाया जा सकता है। इसके लिए थिंक एफएएसटी अभियान चलाया गया है। एम्स की यह यूनिट मध्य भारत में स्ट्रोक मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण है।

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क्या है मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी

यह एक मिनिमली इनवेसिव तकनीक है जिसमें पैर या कलाई की धमनी के जरिए पतली ट्यूब (कैथेटर) से ब्रेन की बंद धमनी तक पहुंचकर थक्का निकाला जाता है। इसमें ओपन सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। इससे लकवा जैसी बीमारी से बचा जा सकता हैं।

एडवांस्ड स्ट्रोक की विशेषताएं

    इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी से तुरंत इलाज
    सीटी और एमआरआइ परफ्यूजन इमेजिंग से सटीक निदान
    यह पहचानना कि मरीज को थ्रोम्बेक्टोमी का लाभ मिलेगा या नहीं
    पारंपरिक समय के बाद भी नई तकनीक कारगर

स्ट्रोक के शुरुआती 5 संकेत

    चेहरे पर झुकाव
    हाथ-पैर में अचानक कमजोरी
    बोलने में दिक्कत
    दृष्टि धुंधली या दोहरी
    तेज सिरदर्द और चक्कर

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