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“अंधेरे में उम्मीद की किरण — जांजगीर में सम्मानित हुए सुबह के सच्चे कर्मवीर”

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सुबह की घंटियों की आवाज़, अख़बारों की सरसराहट, और साइकिल की घंटी–
नेताजी चौक की सुबह, हॉकर साइकिलों पर अख़बार बाँटते हुए।

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“अंधेरे से उजाले तक की यात्रा के साथी…
हर सुबह जब सूरज की किरणें आसमान पर उभरने की तैयारी करती हैं, तब जांजगीर की गलियों में कुछ लोग पहले ही निकल पड़ते हैं — अख़बारों की गठरी लेकर, खबरों की खुशबू फैलाने।
जी हां, ये हैं हमारे कर्मवीर — हॉकर।”

नेताजी चौक पर कार्यक्रम
हॉकरों को उपहार और मिठाई दी जा रही है, सबके चेहरे पर मुस्कान।

“दीपावली के पावन अवसर पर जांजगीर के नेताजी चौक पर हुआ एक अनोखा आयोजन।
ईशिका लाइफ फाउंडेशन ने इन गुमनाम नायकों को स्नेह और सम्मान से नहलाया।
हर वो हाथ, जो सर्दी की ठिठुरन में भी समय पर खबर पहुँचाता है, आज सम्मानित हुआ।”

गोपाल शर्मा:–
“जब हम सब अपने बिस्तरों में आराम कर रहे होते हैं, तब यही लोग साइकिल पर निकल पड़ते हैं — जागरूकता की मशाल लेकर।
इनका काम सिर्फ अख़बार देना नहीं, बल्कि समाज को जगाना है।”

हॉकरों की भावनाएं

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हॉकरों की आँखों में चमक, मिठाई खाते हुए मुस्कुराते चेहरे।

अमित नामदेव, हॉकर :-
“हमेशा लगता था कि हम बस डिलीवरी मैन हैं…
आज पहली बार लगा कि हम भी समाज का एक ज़रूरी हिस्सा हैं।
ये मिठाइयाँ हमारी मेहनत को मीठा कर गईं।”

हॉकरों की साइकिलें कतार में, सुबह की पहली किरण, बच्चों के हाथों में अख़बार।

“यह पहल सिर्फ़ मिठाई बाँटने का कार्यक्रम नहीं थी…
यह उस मेहनत को सलाम थी, जो बिना सुर्खियों में आए, हर सुबह को रोशन करती है।
ईशिका लाइफ फाउंडेशन ने दिखाया कि समाज की रोशनी सिर्फ़ दीपक से नहीं — इंसानियत से जलती है।”

सब मिलकर फोटो खिंचवाते हुए, “जय छत्तीसगढ़” या “ईशिका फाउंडेशन जिंदाबाद” की गूंज।

“नेताजी चौक की वह सुबह सिर्फ़ अख़बारों की स्याही की नहीं, बल्कि मानवीय स्नेह की मिठास से भी महक उठी।

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