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मतदान के बाद जीत-हार पर लगने लगे दांव, चौक-चौराहों पर चुनाव की चर्चा जारी

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कौन जीतेगा, किसकी होगी हार,  कस्बे से लेकर गांव तक अब चुनाव पर ही चर्चा

अफजल अली लखीमपुर खीरी जिला ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी। लोकसभा चुनाव खीरी खत्म हो गया हैं, लेकिन चुनाव को लेकर चर्चा और चकल्लस का दौर जारी है।  लोकसभा मतदान के बाद अब जीत-हार के कयास लगने शुरू हो गए हैं और इसके साथ ही प्रत्याशियों पर दांव भी लगने लगे हैं। चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार व राजनीतिक दल अपने समर्थकों से क्षेत्रवार मतदान व वोटों के आंकड़ों को जुटाने में लग गए हैं, तो कहीं धोखे व पाला बदलने की भी खबरें सामने आ रही है। कोई कहता है कि चार जून तक सब सामने आ जाएगा होटल, पान दुकान, सार्वजनिक चौक- चौराहों में अब पार्टियों के कार्यकर्ता के साथ-साथ चुनाव में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी अपने-अपने आंकड़े बताकर जीत का दावा-प्रतिदावा कर रहे हैं।जीत-हार के दावों के बीच अब कोई शर्त लगाने की भी चुनौती दे रहा है। एक ओर सपा के समर्थक जीत के आंकड़े गिना रहे हैं तो दूसरी ओर बीजेपी के समर्थक केंद्र सरकार की योजनाओं के बल पर जीत के लिए आश्वस्त हैं।‌

सबकी जुबां पर चुनाव की चर्चा

मतदान के दूसरे दिन हालांकि सभी की जुबां पर चुनाव की चर्चा है।कौन जीतेगा, कौन हारेगा और कौन रहेगा दूसरे नम्बर पर, किसका दबदबा रहेगा तथा जीत-हार में कितना अंतर होगा। देश में किसकी सरकार बनेगी तथा किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, इस पर भी लोग मोल-भाव कर रहे हैं।  शांतिपूर्ण संपन्न हुए चुनाव के बाद अब सभी के जुबान में हार-जीत की समीक्षा का दौर तेजी से शुरू हो गया है. वहीं राजनीतिक पंडित भी अपना गुणा-भाग कर चुनावों के परिणाम निकालने लगे हैं और जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इस पर भी हर घंटे लोगों के दावे बदलने लगे हैं। दूसरी ओर मतदाताओं की चुप्पी ने भी प्रत्याशियों व राजनीतिक दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

हार-जीत को लेकर लगने लगी बाजियां

चुनाव के इस दौर में हार-जीत के लिए अब छोटे से लेकर बड़े स्तर तक बाजियो का भी दौर शुरू हो गया है. सौ रुपए से लेकर लाखों रुपये तक की बाजियां लगने लगी है। जीत व हार के मंथन के बीच दावों को लेकर लोगों की तकरारें भी बढ़ गई है और बातों ही बातों में लोगों के सुर भी तेज होते जा रहे हैं  जीत पर अड़े रहने के कारण दावे को लेकर तल्खियाँ भी बढ़ गई है।

बेलरायां में चुनावी आकलन का ठीया बनी चाय के होटल व पान की दुकान

अब तो सीजन चुनाव का है और लोकसभा का मतदान भी हो चुका है। ऐसे में अब तो यह दुकान चुनावी आकलन का ठीया सा बन गई है। यहां सिर्फ चुनाव में हार-जीत पर ही चर्चा नहीं हो रही बल्कि लोग जीत का अंतर और इसके कारण भी बड़े आत्मविश्वास के साथ उंगलियों पर गिना रहे हैं। जाहिर है कि दुकान पर हर किस्म और विचारधारा का व्यक्ति चाय की चुस्कियां लेता है, इसलिए चुनावी नतीजे भी हर घूंट के साथ तब्दील होते रहते हैं।

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