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पेंच टाइगर रिज़र्व से राजस्थान तक बाघिन का सफर, वायुसेना के हेलीकॉप्टर से ट्रांसलोकेशन

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बूंदी/ सिवनी

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रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में पिछले एक महीने से चल रही इंतजार की घड़ियां रविवार को समाप्त होने को हैं। मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से ट्रांसलोकेट की गई बाघिन पीएन 224 आज रात तक बूंदी पहुंच सकती है। हवाई मार्ग से इंटर-स्टेट टाइगर ट्रांसलोकेशन का राजस्थान में यह पहला मामला है। इस ट्रांसलोकेशन में भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई है और मामले को देखते हुए बूंदी रामगढ़ टाइगर रिजर्व से जुड़े तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को अलर्ट पर रखा गया है।

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मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व में पिछले 24 दिनों से वन विभाग को चकमा दे रही बाघिन को आखिरकार रविवार को पकड़ लिया गया और भारतीय वायुसेना के MI-17 हेलीकॉप्टर के जरिए राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया। यह इंटर-स्टेट टाइगर ट्रांसलोकेशन का एक महत्वपूर्ण और सफल अभियान रहा।

अधिकारियों के अनुसार बाघिन को रविवार सुबह से दोपहर तक कई बार हाथियों की मदद से घेरा गया। इसके बाद विशेषज्ञों ने उसे सावधानीपूर्वक ट्रैंकुलाइज किया। बेहोश करने के बाद बाघिन को रेस्क्यू वाहन में डालकर मध्य प्रदेश में सिवनी जिले के सुकतरा एयरस्ट्रिप लाया गया, जहां से शाम करीब 6 बजे MI-17 हेलीकॉप्टर द्वारा राजस्थान के लिए रवाना किया गया।

हेलीकॉप्टर में बाघिन के साथ पिंजरा और विशेषज्ञों की पूरी टीम मौजूद थी। इस टीम में पेंच टाइगर रिजर्व के वन्यजीव चिकित्सक डॉ. अखिलेश मिश्रा, सहायक निदेशक गुरलीन कौर, रुखड़ रेंज के रेंजर लोकेश पवार, वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन ट्रस्ट के पशु चिकित्सक डॉ. प्रशांत देशमुख, राजस्थान वन विभाग के अधिकारी और अन्य विशेषज्ञ शामिल थे, ताकि बाघिन की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके।

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार रात होने के कारण हेलीकॉप्टर को सीधे बूंदी नहीं उतारा गया। जयपुर में लैंडिंग के बाद बाघिन को सड़क मार्ग से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व लाया जा रहा है। पूरे अभियान में उच्च स्तरीय अधिकारियों की सतत निगरानी रही। बूंदी रामगढ़ टाइगर रिजर्व के एसीएफ नवीन नारायणी ने बताया कि पिछले तीन दिनों से सभी टीमों को अलर्ट पर रखा गया था और सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही।

यह इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन बाघों की प्रजनन दर बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में मदद करेगा। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि नई बाघिन का रामगढ़ में बसना स्थानीय प्रजातियों के बीच सामंजस्य बनाए रखेगा और जैव विविधता को मजबूती प्रदान करेगा।

मध्य प्रदेश के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक शुभ रंजन सेन ने बताया कि बाघिन पीएन 224 को पहले से आईडेंटिफाई कर उसे एक बार रेडियो कॉलर लगा दिया था, पर वह निकल भी गया था। ऐसे में दोबारा आज उसे दुबारा मिलने के बाद ट्रेंकुलाइज किया गया है। इस बाघिन की उम्र करीब ढाई-तीन साल के आसपास है।

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