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प्रदूषण बनाम जैव विविधता: यमुना केस में NGT का फैसला अभी बाकी, जानें पूरा मामला

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यमुना 
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यमुना नदी में स्वदेशी प्रजाति की मछलियों की तादाद में तेज गिरावट और विदेशी मछलियों के बढ़ते प्रभुत्व से संबंधित एक स्वतः संज्ञान मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखा है। सभी पक्षों की अंतिम दलीलें सुनने के बाद अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डा. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने मामले को आदेश के लिए सुरक्षित रखा। 

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यह स्वतः संज्ञान मामला मई 2024 की एक समाचार रिपोर्ट से सामने आया। एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण में यमुना में मछलियों की 126 प्रजातियों की मौजूदगी को दर्ज किया गया है। लेकिन यह स्वदेशी मछलियों की प्रजातियों में गिरावट और विदेशी मछलियों में वृद्धि को दर्शाता है। 

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प्रयागराज ने अपने सर्वेक्षण में पाया कि प्रदूषण, नदी के प्रवाह में परिवर्तन और आवासीय क्षति ने मछली की विविधता पर गंभीर प्रभाव डाला है। जबकि यमुना के पूरे विस्तार क्षेत्र में मछलियों की कुल 126 प्रजातियों का घर है। दिल्ली के आइटीओ में सबसे कम प्रजातियों की विविधता दर्ज की गई, जिसे "सबसे प्रदूषित" स्थल के रूप में वर्णित किया, जहां घुलनशील लगभग शून्य या पहचानने योग्य स्तर से नीचे थे। अध्ययन में प्रतीकात्मक स्वदेशी प्रजातियों में महत्वपूर्ण गिरावट दिखाई गई।

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