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हिजाब विवाद को लेकर रांची में आक्रोश, मुस्लिम युवा मंच का प्रदर्शन, नीतीश कुमार का पुतला दहन

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रांची

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हिजाब प्रकरण को लेकर बिहार से लेकर झारखंड तक बवाल मचा हुआ है. शुक्रवार को रांची में झारखंड मुस्लिम युवा मंच के सदस्यों ने ‘महिलाओं का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ के नारों के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला फूंका. मोहम्मद शाहिद अय्यूबी ने कहा कि जब कोई संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति अपनी मर्यादा भूलकर महिला का अपमान करता है, तो वह केवल एक महिला नहीं बल्कि पूरे समाज, संविधान और लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाता है. झारखंड मुस्लिम युवा मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शाहिद अय्यूबी ने कहा कि हम उस देश में रहते हैं जहां नारी को शक्ति, सम्मान और संवेदना का प्रतीक माना गया है. हिंदू धर्म में नारी को दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का स्वरूप कहा गया है. वहीं इस्लाम में मां के कदमों तले जन्नत बताई गई है और बेटी को जिगर का टुकड़ा बताया गया है.

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याद दिल दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान कथित तौर पर एक महिला डॉक्टर के हिजाब हटाने वाले प्रकरण को लेकर झारखंड की राजधानी रांची में मुस्लिम युवा मंच ने जोरदार प्रदर्शन किया. संगठन के अध्यक्ष मोहम्मद शाहिद अय्यूबी के नेतृत्व में आक्रोशित युवाओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन कर कड़ा विरोध दर्ज कराया.

अय्यूबी ने कहा कि जब कोई संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति अपनी मर्यादा भूलकर महिला का अपमान करता है, तो वह केवल एक महिला नहीं बल्कि पूरे समाज, संविधान और लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ केवल एक सरकारी नारा नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी है, जिसे आचरण और भाषा दोनों में अपनाना होगा.

दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का खुलेआम हनन हो रहा है. झारखंड मुस्लिम युवा मंच ने केंद्र एवं राज्य सरकारों से मांग की कि वे महिला अधिकारों और अल्पसंख्यक अधिकारों की केवल बात न करें, बल्कि सख्त कानून, स्पष्ट कार्रवाई और जवाबदेही सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में कोई भी प्रभावशाली व्यक्ति इस तरह का दुस्साहस न कर सके.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ हाथों में तख्तियां लेकर कड़ा आक्रोश व्यक्त किया. यह विरोध आंदोलन किसी एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि महिला सम्मान, लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए है. जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के सम्मान की गारंटी नहीं दी जाती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा.

मोहम्मद शाहिद ने कहा कि जब देश की बेटियां शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान और प्रशासन के क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही हैं, तब उन्हें इस प्रकार अपमानित किया जाना लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादाओं के खिलाफ है. देश में किसी महिला, वह भी एक डॉक्टर के साथ, इस तरह का व्यवहार अत्यंत निंदनीय और शर्मनाक है.

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