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एंटी इंडिया एजेंडा बेनकाब: बंगाल की खाड़ी के जरिए भारत को उकसाने की बांग्लादेशी साजिश

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नई दिल्ली

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बांग्लादेश में जहां एक ओर जमीनी स्तर पर भारत विरोधी प्रदर्शन तेज हो रहे हैं. ठीक इसी तरह समुद्र में भी तनाव बढ़ता दिखाई दे रहा है. पिछले दो महीने से भारत ने एक तरह के असामान्य पैटर्न को नोटिस किया है. बंगाल की खाड़ी में लगातार बड़ी संख्या में बांग्लादेश की मछली पकड़ने वाली नौकाएं भारतीय जलसीमा में प्रवेश कर रही हैं. 

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यह मामला 15 दिसंबर को उस समय सुर्खियां बटोरी, जब बांग्लादेश नौसेना के एक गश्ती पोत ने 16 मछुआरों को ले जा रहे एक भारतीय ट्रॉलर को टक्कर मार दी, जिससे वह पलट गया. यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया जब फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले बांग्लादेश में भारत-विरोधी भावनाएं तेज हो गई हैं.

शेख हसीना सरकार के तख्तापलटन के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश ने विशेष रूप से बंगाल की खाड़ी से भारत मे अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की है. यूनुस पहले यह दावा भी कर चुके हैं कि बांग्लादेश पूरे क्षेत्र में महासागर का संरक्षक है, जिसे लेकर भारत में असहजता है.

इस पूरे घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास मछली पकड़ने वाले भारतीय मछुआरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं. सोमवार को तनाव उस समय और बढ़ गया जब आरोप लगा कि बांग्लादेश नौसेना के एक जहाज ने सीमा के पास पश्चिम बंगाल के 16 मछुआरों को ले जा रहे भारतीय ट्रॉलर को टक्कर मार दी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेशी जहाज की लाइटें बंद थीं, जिससे रात में भारतीय ट्रॉलर उसे देख नहीं सका.

FB Parmita नाम का यह ट्रॉलर पलट गया, जिससे सभी मछुआरे समुद्र में जा गिरे. सुबह करीब 6 बजे भारतीय तटरक्षक बल ने 11 मछुआरों को बचाया. पांच अब भी लापता हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक मछुआरे की भाले जैसे हथियार से हत्या कर दी गई. बचे हुए मछुआरों ने आरोप लगाया है कि ट्रॉलर पर सवार सभी लोगों को मारने की कोशिश की गई.

 बांग्लादेशी जहाज ने उस समय टक्कर मारी जब मछुआरे जाल डालने की तैयारी कर रहे थे. एक मछुआरे ने बताया कि राजदुल अली शेख नामक व्यक्ति को भाले से मारा गया.

सुंदरबन मरीन फिशरमैन वर्कर्स यूनियन की शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. हालांकि, भारतीय तटरक्षक बल ने अब तक यह पुष्टि नहीं की है कि भारतीय ट्रॉलर ने समुद्री सीमा पार की थी या बांग्लादेश नौसेना का जहाज भारतीय जलसीमा में दाखिल हुआ था. उधर, बांग्लादेश ने इन रिपोर्टों को भ्रामक बताते हुए दावा किया है कि उसका गश्ती पोत घटनास्थल से 12 मील दूर था.

इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है. विदेश मामलों के विशेषज्ञ रमन मूर्ति ने सोशल मीडिया पोस्ट कर कहा कि यह उकसावा है. वे भारत के साथ टकराव चाहते हैं. यही उनके दयनीय अस्तित्व का एकमात्र रास्ता है.  एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि यह पूरी तरह पूर्व-नियोजित उकसावा है, जिसका मकसद हमें फंसाना है.

भारतीय जलसीमा में बांग्लादेशी नौकाएं

यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब बंगाल की खाड़ी में बांग्लादेशी मछली पकड़ने वाली नौकाओं की भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में घुसपैठ के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. 16 दिसंबर को ही भारतीय तटरक्षक बल ने दो बांग्लादेशी मछली पकड़ने वाली नौकाओं को भारतीय जलसीमा में घुसने के आरोप में पकड़ा. 

यह कोई अकेली घटना नहीं है. बीते कुछ महीनों में भारत कम से कम आठ बांग्लादेशी नौकाओं और करीब 170 मछुआरों को पकड़ चुका है. भारत-विरोधी भावनाओं के साथ इन घटनाओं का बार-बार होना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है.

भारत-विरोधी बयानबाजी में तेजी

बांग्लादेश में चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से इस तरह की गतिविधियों में इजाफा हुआ है. बांग्लादेश सरकार के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश ने न सिर्फ पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ाई हैं, बल्कि कट्टरपंथी इस्लामी समूहों और पहले प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठनों को भी जगह दी है.

इसी बीच, नवंबर में पाकिस्तान नौसेना प्रमुख ने बांग्लादेश का तीन दिवसीय दौरा किया. 1971 के बाद पहली बार किसी पाकिस्तानी नौसेना का कोई अधिकारी बांग्लादेश के उच्चस्तरीय दौरे पर रहा.

एक संसदीय समिति ने यहां तक कहा है कि ढाका में पाकिस्तान और चीन के बढ़ते प्रभाव के चलते भारत को 1971 के युद्ध के बाद से सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. शुक्रवार को बांग्लादेश में एक बार फिर भारत-विरोधी प्रदर्शन और हिंसा देखने को मिली. यह हिंसा कट्टरपंथी नेता और भारत विरोधी बयानबाजी  के लिए कुख्यात शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद भड़की, जिसे नकाबपोश हमलावरों ने गोली मार दी थी.

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