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गरियाबंदछत्तीसगढ़

टोकन 15 मिनट में खत्म, दश दिन बाद भी स्लाट नहीं , किसानों को धान बेचने में हो रही हैं परेशानी

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फर्स्ट छत्तीसगढ़ न्यूज विपिन कुमार सोनवानी

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गिरदावरी, खसरा और रकबा से जुड़ी कई त्रुटिया , सुधार के लिए पटवारी, तहसीलदार के चक्कर काट रहें हैं किसान

देवभोग.. जिले से लेकर ब्लॉक में इस बार किसानों को धान बेचने कि प्रक्रिया किसी परिक्षा से कम नहीं, वहीं देवभोग ब्लॉक के अधिकत्तर किसानों का कहना हैं कि टोकन तुहर हाथ का ऐप खुलते हैं स्लाट पूरा हो जा रहा हैं और अगले दश दिनों तक पूरा बता रहा हैं। जिसके कारण किसान बहुत ज्यादा परेशान हो रहें हैं।

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वहीं एक 70 वर्ष का बुजुर्ग किसान ने अपनी पीढ़ा बताते हुए कहां कि मेरे परिवार में एंड्राइड मोबाइल नहीं हैं और हमें चलाना भी नहीं आता करीब डेढ़ एकड़ ज़मीन में धान का पैदावार किया हूं और टोकन काटने के लिए समिती का चक्कर काट रहा हैं लेकिन टोकन कट नहीं रहा हैं, खरीदा प्रभारी को अपनी समस्या अवगत करने से टोकन का लिमिट पूरा हैं बताकर अगले दीन आने को कह रहें हैं।

वहीं देवभोग ब्लॉक के और एक किसान का कहना है कि में चार एकड़ में धान का खेती किया हूं लेकिन धान कि फसल को गिरदावरी में तीन एकड़  दर्ज किया गया हैं , आए दिन पटवारी तो कभी सोसायटी का चक्कर काट रहा हूं लेकिन त्रुटि सुधार कि प्रक्रिया आगे नहीं बड़ रहीं हैं।
इनके परेशानी के साथ साथ पूरे जिले के अन्नतादाओं कि स्थिति ऐसी है। तुहर ऐप के माध्यम से रोजाना सुबह 9 बजे जैसे टोकन विंडो खुलती हैं महज 10 से 15 मिनट के भीतर ही टोकन समाप्त हो जाति हैं जिन किसानों कि इंटरनेट सुविधा धीमी है या जो तकनीकी कारण से ऐप में लागीन नहीं कर पाते उनके हाथ निराश ही लगते हैं, समिती स्तर पर मिलने वाले मैनवाल टोकन भी राहत नहीं मिल पा रहीं हैं। स्थिति ऐसी है कि किसानों को दश दिन बाद भी टोकन नहीं मिल रही हैं।

विभागीय अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार अब पंजीयन कि तिथि अब बढ़ाकर 15 दिसंबर हों गया हैं जो किसान पंजीयन नहीं करा पाए हैं वो 15 दिसंबर तक अपने छूते हुए रकबे का पंजीयन करा सकतें हैं।

किसानों को हताश बढ़ाने वाली चार प्रमुख वजह..
1….70 प्रतिशत टोकन ऑनलाइन और 30 प्रतिशत टोकन ऑफलाइन कई ग्रामीण इलाके में डिजिटल क्षमता नहीं ऐसे में किसान अपनी क्षमता अनुरुप टोकन नहीं काट पा रहे है।
2… गिरदावारी रिपोर्ट में धान का रकबा को कम कर दिया गया हैं जो प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण हैं लेकिन इसका खमियाजा किसान भुगत रहे है।
3.. दो एकड़ वाले किसान को एक टोकन, दो से दश एकड़ वाले किसान को दो टोकन और दश से अधिक वाले किसान को तीन टोकन का लाभ दिया गया हैं।
4.. एग्रिस्टेक पोर्टल में अनिवार्य पंजीयन ड्रोन आधारित गिरदावरी में अनेक त्रुटीयां ।

वहीं नवनियुक्त कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुखचंद बेसरा ने सरकार को तंज कसते हुए कहां कि छत्तीसगढ़ कि सरकार लगातार किसानों को परेशान कर रही हैं कभी एग्रीस्टेक में पंजीयन तो कभी ड्रोन आधारित गिरदावरी से अधिकत्तर रकबे किसानों का छुट गया हैं जिसके चलते आए दिन किसान पटवारी से लेकर तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहें हैं। सरकार सत्ता पाने के लिए तो घोषणा तो कर दी लेकिन किसानों का पूरा धान खरीदना नहीं चाहती जिसके कारण किसानों का रकबा आए दिन कट रहीं हैं, केंद्र द्वारा जो धान का समर्थन बढ़ाया गया हैं उसे भी नहीं दे रहीं हैं छत्तीसगढ के किसान हताश और निराश हैं।

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