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मध्यप्रदेशराज्य

एमपी की पारंपरिक विरासत को मिला जीआई प्रमाणन

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मध्यप्रदेश की विरासत को मिला जीआई टैग

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भारत की बौद्धिक संपदा अधिकार में शुमार मध्यप्रदेश की सम्पदा
खजुराहो स्टोन क्रॉफ्ट, छतरपुर फर्नीचर, बैतूल भरेवा मेटल क्रॉफ्ट, ग्वालियर पत्थर शिल्प और ग्वालियर पेपर मैशे क्रॉफ्ट को मिला जी आई टैग
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मंत्री  काश्यप ने माना आभार और अधिकारियों को दी बधाई
 पद्म रजनीकांत ने बताया ऐतिहासिक पल

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भोपाल 

भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की 5 बहुत ही प्राचीन शिल्प कला को जीआई टैग के द्वारा भारत की बौद्धिक संपदा अधिकार में शुमार होने का गौरव प्राप्त हुआ है। एमएसएमई मंत्री  चैतन्य कुमार काश्यप ने मध्यप्रदेश की विरासत को मिली इस ऐतिहासिक पहचान के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को बधाई दी है। इस उपलब्धि को जीआई मैन ऑफ इंडिया के नाम से प्रख्यात पद्म डॉ. रजनी कांत ने  अत्यंत गर्व का पल बताया है।

जीआई रजिस्ट्री चेन्नई के वेबसाइट पर इन उत्पादों के सामने रजिस्टर्ड का स्टेटस आते ही संबंधित शिल्पियों में खुशी की लहर दौड़ गई और मध्यप्रदेश के लिए यह पहल करने वाले सूक्ष्म,लघु,मध्यम उद्यम विभाग सहित अन्य विभागों में भी नई चेतना आ गईं है।

लगभग एक वर्ष पूर्व ही इन सभी के लिए जीआई का आवेदन खजुराहो स्टोन क्रॉफ्ट, बैतूल भरेवा मेटल क्रॉफ्ट, ग्वालियर पत्थर शिल्प और ग्वालियर पेपर मैशे के लिए नाबार्ड, मध्यप्रदेश ने और छतरपुर फर्नीचर के लिए सिडबी मध्यप्रदेश ने वित्तीय सहयोग प्रदान किया था। एमएसएमई विभाग मध्यप्रदेश के प्रयास से स्थानीय शिल्पियों की संबंधित संस्थाओं द्वारा यह सभी जीआई एप्लिकेशन पद्म डॉ. रजनीकांत के तकनीकी सहयोग से भेजे गए थे।

नवम्बर माह में ही पन्ना डायमंड को जीआई टैग प्राप्त हुआ है और लगभग 25 उत्पादों की जीआई मिलने की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है।

 

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