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युक्तियुक्तकरण के नाम पर जिले के 72 शिक्षकों का जबरन ट्रांसफर उत्तरी जांगड़े ने विधानसभा में उठाया मामला

लक्ष्मीनारायण लहरे की रिपोर्ट
रायपुर/सारंगढ़।विधानसभा मानसून सत्र के प्रथम दिन सारंगढ़ विधायक श्रीमती उत्तरी जांगड़े ने   तारांकित प्रश्न के माध्यम से युक्तियुक्तकरण के नाम पर जिले के 72 शिक्षकों का जबरन ट्रांसफर  का मुद्दा उठाया।  श्रीमती उत्तरी गनपत जांगड़े ने पूछा क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि :-(क)सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के अंतर्गत कितने विद्यालय ऐसे हैं जहाँ से पहले युक्तियुक्तकरण कर सहायक शिक्षक/शिक्षक/व्याख्याता को अतिशेष कर अन्य जगह भेजा गया तथा उसी विद्यालय में पद रिक्त बताकर अन्य शिक्षक की पदस्थापना की गयी?

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विद्यालय का नाम और शिक्षकों को नाम सहित जानकारी देवें इस गड़बड़ी हेतु दोषी कौन है? दोषियों पर क्या कार्यवाही की जावेगी ? (ख) क्या ऐसे शिक्षकों को उनकी मूल शाला में वापस भेजकर न्याय करेंगे? यदि हाँ तो कब तक ? (ग) सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में कुल कितने स्कूल मर्ज होने से बंद हुए हैं? कृपया नाम सहित जानकारी देवें? जवाब में मुख्यमंत्री (श्री विष्णु देव साय): (क)
जानकारी संलग्न प्रपत्र अनुसार है। जिला शिक्षा अधिकारी सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला स्तरीय युक्तियुक्तकरण समिति के सदस्य सचिव थे। उन्हें शासन द्वारा निलंबित किया गया है। (ख) अभ्यावेदन का निराकरण जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जायेगा। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जानकारी निरंक है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। इस तरह संतोषजनक जवाब नहीं मिलना यह दर्शाता है कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर भारी भ्रष्टाचार कर शिक्षकों को प्रताणित किया गया है। जब शिक्षकों के स्कूल में पद रिक्त था तो अतिशेष क्यों किया गया तथा अतिशेष करके शिक्षकों को अन्य जगह भेजना और उसी स्कूल में दूसरे शिक्षकों का पोस्टिंग कर देना तानाशाही है। उपरोक्त गड़बड़ी को सुधारने के बजाय जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबित कर किये जाने का जवाब देने से उन 72 शिक्षकों के साथ न्याय कहाँ मिला जबकि होना तो यह चाहिए था की उन शिक्षकों को अपने मूल स्थान पर वापस किया जाना चाहिए था। सरकार के पास बताने के लिए समयसीमा नहीं है, आने वाले समय में अब शिक्षक को तय करना होगा कि युक्तियुक्त करण के नाम पर जिस तरह शिक्षकों का शोषण हुआ है।उसमे इस भाजपा सरकार का समयसीमा तय करें। प्राथमिक शाला में एक प्रधान पाठक और एक शिक्षक पाँच कक्षा को कैसे पढ़ा पाएंगे ये तो हमारे छत्तीसगढ़ के बच्चों के भविष्य को अंधकार में धकेल कर उनको अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित कर रहे है।

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