छत्तीसगढ़

दंतेवाड़ा में अवैध रेत खनन: पर्यावरण और जनहित पर हमला, बीजेपी सरकार औऱ विभाग की चुप्पी बरकरार विमल सलाम

दंतेवाड़ा जिले के बालूद और बालपेट क्षेत्रों में रेत का अवैध खनन और तस्करी चरम पर है। रेत के पहाड़ खड़े कर दिए गए हैं, नदियों का सीना छलनी हो रहा है, और पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंच रही है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि खनन विभाग और बीजेपी सरकार इस लूट के सामने मूकदर्शक बनी हुई है। यह साफ है कि बीजेपी नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन संभव नहीं है। मैं, जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री और प्रवक्ता के नाते, इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता हूं और इस रेत माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग करता हूं।

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रेत माफिया का बोलबाला, सरकार की चुप्पी
दंतेवाड़ा की नदियों से रेत की लूट मची है। बालूद और बालपेट के रेत खदानों में भारी मशीनों का इस्तेमाल कर अवैध उत्खनन किया जा रहा है, जो पर्यावरण संरक्षण नियमों का खुला उल्लंघन है। रेत के अवैध भंडारण के ढेर लगे हैं, जो न केवल नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर रहे हैं, बल्कि आसपास के गांवों में बाढ़ और कटाव का खतरा भी बढ़ा रहे हैं। खनन माफिया बेखौफ होकर काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें स्थानीय प्रशासन और बीजेपी नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। सवाल यह है कि जब पूरा जिला इस लूट को देख रहा है, तो खनन विभाग और सरकार क्यों खामोश है? क्या यह चुप्पी सत्ता के संरक्षण का सबूत नहीं?

पर्यावरण और जनजीवन पर संकट
अवैध रेत खनन से दंतेवाड़ा का पर्यावरण तहस-नहस हो रहा है। नदियों का जलस्तर घट रहा है, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पानी की कमी हो रही है। जलीय जीव-जंतुओं का अस्तित्व खतरे में है, और नदियों के किनारे बसे गांवों में मिट्टी का कटाव बढ़ रहा है। रेत खनन से निकलने वाली धूल हवा को प्रदूषित कर रही है, जिससे स्थानीय लोगों में सांस और अन्य बीमारियां बढ़ रही हैं। यह सब तब हो रहा है, जब बीजेपी सरकार पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास की बड़ी-बड़ी बातें करती है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि रेत माफिया के हितों की रक्षा के लिए नदियां और जनता का जीवन दांव पर लगाया जा रहा है।

बीजेपी की मिलीभगत और राजस्व का नुकसान
यह कोई रहस्य नहीं कि अवैध रेत खनन के पीछे बीजेपी नेताओं और अधिकारियों का गठजोड़ है। खनन माफिया को खुली छूट दी जा रही है, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। यह पैसा जनकल्याणकारी योजनाओं में इस्तेमाल हो सकता था, लेकिन माफिया की जेब में जा रहा है। बीजेपी सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है कि दंतेवाड़ा जैसे संवेदनशील जिले में रेत माफिया बेलगाम हो गए हैं? यह न केवल पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है, बल्कि जनता के विश्वास के साथ भी धोखा है।

कांग्रेस की मांग और प्रतिबद्धता
कांग्रेस पार्टी पर्यावरण संरक्षण और जनहित के लिए प्रतिबद्ध है। हम मांग करते हैं कि:

  1. तत्काल कार्रवाई: बालूद और बालपेट में अवैध रेत खनन पर तुरंत रोक लगाई जाए और दोषी माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।

  2. उच्चस्तरीय जांच: बीजेपी नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत की स्वतंत्र जांच हो, और दोषियों को बख्शा न जाए।

  3. पर्यावरणीय मुआवजा: अवैध खनन से हुए नुकसान का आकलन कर माफिया से मुआवजा वसूला जाए और प्रभावित क्षेत्रों का पुनर्वास हो।

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