गरियाबंदछत्तीसगढ़

सरकारें बदली लेकिन नदी पार 36 गांवों कि सबसे बड़ी समस्या जस के तश..

गरियाबंद से विपिन कुमार सोनवानी जिला ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट

लगातार 20 सालों से नदी पार 36 गांव को बेलाट नाले पर पुल का इंतजार…

देवभोग न्यूज.. सरकार बदलें नेता बदलें लेकिन नदी पार 36 गांव कि सबसे बड़ी समस्या विगत 20 वर्षो से नहीं हो पा रहा हैं। यहां कई नेता, मंत्री बड़ी बड़ी बाते कहकर निकल गए लेकिन समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया। चाहें बिजेपी के हो या कॉन्ग्रेस के नेता इनका घोषणा तक ही सिमट गया।

बतादें नदी पार 36 गांव को देवभोग मुख्यालय से जोड़ने वाले बेलाट नाला  का जो आज भी पुल के इंतजार में है। अब तक यहां पुल नहीं बनने से 36 गांव के लोगों का सबसे बड़ी समस्या बनी हुई हैं।

15 साल बीजेपी कि सरकार तो वहीं पांच साल कॉन्ग्रेस कि सरकार और अभी वर्तमान में फिर बीजेपी कि सरकार लेकिन किसी ने भी नदी पार 36 गांव कि ये सबसे बड़ी समस्या का निजात अब तक दिला नहीं पाई। इनकी घोषणा और वादें अब तक कागजों में ही सिमट कर रह गई। नेता इस नाले में पुल बनाने में अब तक विफल रहें।
 
बिजेपी और कॉन्ग्रेस 36 गांव को अपनी अपनी गड़ मानती हैं.. बीजेपी इस 36 गांव को अपनी गड़ मानती हैं और अच्छी खासी बढ़त भी हर बार के चुनाव में मिलता है। लेकिन गड़ मानते हुए भी नदी पार 36 गांव के समस्या का ध्यान अब तक नहीं रख पाई।


ठगने में भी कॉन्ग्रेस पीछे नहीं.. तत्कालीन कांग्रेस कि सरकार भी ठगने में कहीं पीछे नहीं रहीं उनके कार्यकाल में कई नेता और राजनेता ने भी इस पुल में खड़े होकर फोटो शूट कर वाहवाही बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। और आश्वासन के ऊपर आश्वासन देकर लुभानी बातें किए थे। लेकिन उनके आश्वासन भी धूल, मिट्टी कि तरह बह गए। बड़ी बड़ी घोषणा केवल दफ्तरों में ही फाइल बन कर रह गई। और समस्या का निदान करने में विफल रहीं।

इस चुनाव में भी कॉन्ग्रेस और बेजीपी का प्रमुख मुद्दा यह पुल था.. वर्तमान के विधान सभा चुनाव में भी कॉन्ग्रेस और बीजेपी पार्टी के तरफ से यह नाला प्रमुख मुद्दा था। लेकीन सरकार और विधायक बनें करीब दो साल होने को हैं लेकिन बेलाट नाला में अभी तक पुल नहीं बन पाई।
गरियाबंद जिले के प्रवास के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भरी मंच में बेलाट नाला का जिक्र किए थे लेकिन उनके घोषणा किए साल भर से ज्यादा होने को हैं लेकीन यहां अभी तक यहां एक पिल्लहर भी खड़ा नहीं हो पाया है।

नदी पार करीब 30 हजार से ज्यादा लोगों का विश्वास टूटते देख अब आंदोलन कि चेतावनी दी है और सड़क से लेकर सिहासी गलियारों तक उग्र प्रदर्शन करने कि मंशा बना चुके हैं अब इनका सब्र का बांध टूट गया है और बड़ी आंदोलन करने कि बात कह रहें हैं।

इस संबंध में नई दुनिया कि टीम के द्वारा सेतु निर्माण विभाग के एसडीओ एस. के. पंडोले से पुल निर्माण के संबंध में अधिकारिक जानकारी हासिल कि तो पता चला कि विगत छह माह पहले से टेंडर लगा है और करीब चार करोड़ 41 लाख का इस्टीमेंट बना है और टेंडर खुलने के बाद ही अधिकारिक पुष्टि कि जायेगी।

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