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कोसीर गांव का मेला _ मड़ई 20 दिसम्बर से 24 दिसंबर तक …

कोसीर गांव का चर्चित मेला मड़ई 20 दिसंबर आज से
अटल व्यवसायिक परिसर द्वारिका नगर में भरेगी मेला
कोसीर गांव का मेला _ मड़ई 20 दिसम्बर से 24 दिसंबर तक …
लक्ष्मी नारायण लहरे
कोसीर। सारंगढ़ जिला मुख्यालय से महज 16 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में महानदी किनारे सांस्कृतिक नगरी कोसीर का बसाहट है जहां कल्चुरीन कालीन सभ्यता से जुड़ी मां कौशलेशवरी देवी की ऐतिहासिक मंदिर है।

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कोसीर गांव का मेला मड़ई दिसंबर माह में भरता है जहां दूर दूर से लोग मेला का आनंद लेने आते हैं ।यहां का मेला इस अंचल के लिए पर्व से कम नहीं है।
इस मेला में गांव की बेटी _बहु पहुनाही बन कर पूरे मेले भर रहते हैं । यह मेला प्रसिद्ध है । कोसीर गांव और आस पास के यादव समाज के बंधु राऊत नाच कर अपना शौर्य का प्रदर्शन करते है लोग राऊत नाचा को देखने दूर दूर से आते है हालांकि पीछे दो दशक से राऊत नाचा की धमक में कमी देखी गई है पर मेला का स्तर और बढ़ा है ।बड़े बड़े झूले ,सिनेमा और मीना बाजार लगाते हैं जो आकर्षण का केंद्र होता है। इस वर्ष मेला स्थल में परिवर्तन किया गया है और अटल बाजार व्यवसायिक परिसर द्वारिका नगर में 05 दिवसीय मेला का आयोजन किया जा रहा है जो मुख्य बस्ती से 1 किलोमीटर दूर है। बाजार ठेकेदार राजेंद्र राव और उनके सहयोगियों ने मेला को आकर्षण बनाने के लिए कमर कस कर तैयारी की है । मेला का आनंद से परियाए है । यहां का मेला बहुत चर्चित मेला है वर्ष में इस मेला का लोग इंतजार करते हैं । वर्तमान में इस मेला मड़ई को उत्सव _महोत्सव में सहेजने की जरूरत है यह मेला 200 वर्ष से अधिक पुराना मेला है । वर्तमान में जिस स्थान पर मेला का आयोजन हो रहा है उस स्थल में बाजार भी लगती है आने वाले समय में इस स्थल में अमूल चूल व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए पानी ,बिजली , शौचालय की व्यवस्था ग्राम पंचायत स्तर से हो जाती है तो यह मेला अपनी इतिहास को समेट कर आगे बढ़ेगी । सोंच में परिवर्तन की जरूरत है । वही मेला में हजारों लोग आनंद लेने आते है उस हिसाब से यहां पुलिस और प्रशासन की कैंप भी प्रमुखता से होनी चाहिए । वही सामाजिक संगठनों को भी मेला में भाग लेने की जरूरत है ।मेला को नए रूप में स्थापित करने की आज जरूरत है जो कोसीर गांव के इतिहास को समेट कर रखा है । इस चर्चित मेला मड़ई में लोग आनंद लें और यहां की इतिहास को समेट कर अपने जीवन में संजोए ऐसे पहल की आज जरूरत है । गांव के यादव समाज के बंधुओं को भी आज जागने की जरूरत है और अपने पारंपरिक नृत्य को संजोकर आगे बढ़ने की जरूरत है ।20 दिसंबर से 24 दिसंबर तक मेला आयोजित हो रही है जिसकी तैयारी ग्राम पंचायत और बाजार ठेकेदार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी होती है मेला स्थल में ग्रामीण संगठन की भी जरूरत है ?
गुरुवार से ही मेला स्थल पर झूले ,मीना बाजार ,बनज सिनेमा   लग रही है जो मनोरंजन के साधन हैं । यहां लोग व्यापार करने दूर दूर से आते हैं ।मेला का एक अलग पहचान है ।

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