छत्तीसगढ़

बाल श्रम उन्मूलन हेतु विधिक जागरूकता अभियान: घरघोड़ा में विशेष शिविर का आयोजन

घरघोड़ा न्यूज। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के निर्देशानुसार, आज दिनांक 08 नवंबर 2024 को प्रधान जिला न्यायाधीश माननीय जितेंद्र कुमार जैन और श्री अभिषेक शर्मा (तालुका अध्यक्ष, विधिक सेवा समिति, घरघोड़ा, जिला रायगढ़) के नेतृत्व में, सचिव महोदया श्रीमती अंकिता मुदलियार के आदेशानुसार, बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में जागरूकता अभियान चलाया गया। यह अभियान 21 अक्टूबर से 20 नवंबर 2024 तक अखिल भारतीय बचाव एवं पुनर्वास अभियान के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत विशेष कार्यक्रम और विधिक साक्षरता शिविर घरघोड़ा में आयोजित किए गए।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में बढ़ते बाल श्रम और बाल अपराध के मामलों को रोकने और इससे संबंधित कानूनी जानकारी उपलब्ध कराना था। इस अवसर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और बाल श्रम के उन्मूलन के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता और सलाह प्राप्त करने हेतु नालसा के टोल-फ्री नंबर 15100 के बारे में भी जागरूक किया गया।

शिविर में पीएलव्ही (पैरा लीगल वोलंटियर्स) बालकृष्ण और लवकुमार ने बालकों के अधिकार और उनसे संबंधित कानूनों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2015 के अनुसार, 14 साल से कम उम्र के बच्चों को कारखानों, खदानों, और अन्य जोखिमपूर्ण कार्यों में लगाना गैरकानूनी है। इसके अलावा, घरेलू हिंसा और बाल श्रम से जुड़े अन्य कानूनी प्रावधानों की भी जानकारी दी गई।

कार्यक्रम में आए हुए बच्चों, अभिभावकों और समाज के अन्य लोगों को जागरूक किया गया कि बाल श्रम एक अपराध है और बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। बाल श्रम और बाल अपराध के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए लोगों से अपील की गई कि वे बच्चों को शिक्षा और स्वस्थ जीवन का अधिकार दिलाने में सहयोग करें।

इस विशेष शिविर में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रचार सामग्रियों जैसे कि पम्फलेट, बैनर और पोस्टरों का उपयोग किया गया, जिससे आम जनता को बाल श्रम उन्मूलन से संबंधित कानूनों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी मिल सके। साथ ही, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका पर भी चर्चा की गई ताकि बाल श्रम के मामलों में कानूनी सहायता प्राप्त कर पीड़ितों को न्याय दिलाया जा सके।

अंततः, इस कार्यक्रम के माध्यम से समाज में यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि बाल श्रम को समाप्त करने में हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए हमें सामूहिक रूप से इस दिशा में काम करना होगा।

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