Blog

मां हिंगलाज के दरबार में आज से लगेगा मेला


सारंगढ़ भटगांव । नगर भटगांव अंतर्गत आने वाले ग्रापं देवसागर मे आज मां भगवती हिंगलाज भवानी के मंदिर मे मेले का भव्य आयोजन किया जा रहा है। मेले मे सुबह 5 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक लोगो की भीड़ बनी रहती है। मेले मे लाखों से भी अधिक लोक पूजा अर्चना कर मन्नतें मांगते है। बाहर से आये श्रध्दालु नारियल, नींबू चढ़ाकर अपनी मनोकामना के लिए वरदान मांगते है। माता हिंगलाज में प्रसाद के रूप में पुजारी द्वारा माता मे चढ़ी हल्दी श्रध्दालु को दिया जाता है । ऐसी मान्यता है कि – श्रध्दालु माता के दरबार मे मन्नतें मांगते है और उनकी मनोकामना पूरी होती है । बताया जाता है कि चैत पूर्णिमा को इस क्षेत्र के धरनी हीन जो जमीन पर लेट कर कर नापते  मां हिंगलाज की मंदिर जाते है, और पूर्व रात्रि मे मंदिर पहुंच कर लेटे रहते है। माता हिंगलाज उनकी मनोकामना पुरी करती है , मन्नत पूरी होती है।

विदित हो कि – उन्हे सुबह पांच बजे जमींदार परिवार द्वारा पूजा अर्चना के बाद हल्दी पानी का छींटा देकर उठाया जाता है। उसके बाद जमीन नापने वाले धरनीहीन उठकर देवी की पूजा अर्चना कर मेले का आनंद लेते है। खास बात यह भी है कि – जिस मां की गोद सुनी रहती है, एवं अन्य परेशानियों मे जो शरीरिक रूप से परेशान रहते है, ऐसे लोग मां की दरबार मे जमीन नापते आते है और मन्नत मांगते है। जिसकी मन्नत पूरी होती है वे दूसरे साल चैत्र पूर्णिमा के दिन अपने बच्चो के साथ आते है व मां हिंगलाज का दर्शन कर आशीर्वाद लेते है। जानकारी हो कि – नगर भटगांव से महज तीन किलो मीटर  दक्षिण दिशा की ओर ऐतिहासिक मंदिर पठारों से घिरा हुआ है जहां आदिशक्ति मां हिंगलाज जेवरादाई विराजमान है। यह प्राचीन काल से चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती के दिन एक दिवसीय भव्य मेला लगता है। मान्यता यह है कि – लोगो की हर मन्नत पूरी होती है।

लाखों की संख्या मे लोग दर्शन करने आते है। वही रात मे एक भी व्यक्ति मंदिर के पास नही रूकता है, बताया जाता है कि – माता जो है उस रात पूरे मंदिर क्षेत्र मे भ्रमण करती है। जहां भटगांव जमींदार परिवार देवी की कई पीढ़ियों से पूजा अर्चना करते आ रहे है। अंतिम जमींदार प्रेम भुवन प्रताप सिंह थे। उनकी वंशज प्रभादेवी, इंदिरा कुमारी द्वारा लगभग 50 वर्षो तक देवी की पूजा अर्चना की गई। माता हिंगलाज भटगांव जमींदार की कुलदेवी के रूप मे मानी जाती है। प्रभा देवी के स्वर्गवास हो जाने के बाद उनकी छोटी बहन इंदिरा कुमारी ने पूजा अर्चना जारी रखी। इसके बाद उनके गोद पुत्र पुष्पेंद्र प्रताप सिंह द्वारा किया जा रहा है। क्षेत्र मे यह बात देवसागर मंदिर के बारे मे चर्चित है कि – आज भी मेला के दिन रात्रि 9 बजे के बाद कोई भी आदमी मेला परिसर मे नही ठहरता। कहा जाता है की देवी का वाहन शेर जाता है और बलि दिए हुए बकरे का खून चाट कर पूरा साफ कर देता है। इस ऐतिहासिक मंदिर का रहस्य भटगांव जमींदार व सारंगढ के राजघराने से जुड़ी हुई है। वही पुराने जमाने के बुजुर्ग द्वारा बताया जाता है कि – प्राचीन काल में देवी हिंगलाज माता भटगांव नपं से 3 किमी दूर ग्राम जेवरादाई गांव की पहाड़ी पर स्थित है । बताया जाता है कि – सारंगढ के राजा देवी की मूर्ति को रतनपुर से रात्रि में बैलगाड़ी से अपने राज्य ले जा रहा था।

ठीक उसी रात भटगांव के जमींदार को सपना मे दिखाई दिया कि – मुझे सारंगढ़ का राजा जबरदस्ती उठाकर बैल गाड़ी मे अपने राज्य ले जा रहा है। तब भटगांव जमींदार उसी रात क्षेत्र के ग्रामीणों को लेकर देवसागर पहुंचा। जहां सारंगढ़ राजा माता हिंगलाज देवी की मूर्ति को अपने बैल गाड़ी मे लेकर जा रहा था। तब भटगांव जमींदार के कहने पर सारंगढ़ राजा देवी की मूर्ति वापस छोड़कर वापस अपने राज्य सारंगढ़ चला गया। वही पुराने बुजुर्गो ने बताया कि – सारंगढ राजा और भटगांव जमींदार के बीच देवी मूर्ति को ले जाने के चलते काफी विवाद हुआ। इस दौरान राजा देवी के नाक का कुछ हिस्सा नथनी सहित काट कर ले गया। आज भी चैत्र पूर्णिमा के दिन सारंगढ़ राज महल मे देवी की पूजा अर्चना होती है। ठीक इसी दिन चैत्र पूर्णिमा के दिन देवसागर मे भटगांव जमींदार स्व.धर्मसिंह के द्वारा मूर्ति की स्थापना ग्रापं देवसागर की पहाड़ियों के ऊपर की। इस लिए इसी दिन से चैतराई मेले का शुरूवात हुई । मेले का आयोजन हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा के दिन से आज तक जमींदार परिवार द्वारा किया जाता है।

Advertisements

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button