सारंगढ़ । समाजसेवी सतीश यादव ने कहा बाल संस्कार केंद्र बच्चों में नैतिक गुणों के विकास एक महत्त्वपूर्ण कदम है । सतीश यादव ने बच्चों को कॉपी पुस्तक एवं अन्य खाद्य पदार्थों का वितरण किया एवं सभी बच्चों से कहा कि वे नियमित बाल संस्कार केंद्र अवश्य आवे यादव ने यह भी कहा –
बालकों के भीतर सामर्थ्य का असीम भण्डार छुपा हुआ है, जिसे प्रकट करने के लिए जरूरी है उत्तम संस्कारों का सिंचन, उत्तम चारित्रिक शिक्षा एवं भारतीय संस्कृति के गौरव का परिचय बालक को संस्कार प्राप्त होते हैं परिवार से, पाठशाला से एवं उसके आस-पास के वातावरण से गुरूकुल में शिक्षा भी तदनुसार ही होती थी एवं बाहर के वातावरण में ही आचार-विचार देखने को मिलते थे, जिनकी शिक्षा उन्हें घर तथा गुरूकुल में मिलती थी।
विदित हो कि – आज की स्थिति इसके सर्वथा विपरीत है। आज बालक घर में कुछ और देखता है, पाठशालाओं में कुछ दूसरा ही पढ़ता है व बाहरी संसार का अनुभव कुछ भिन्न ही होता है। जिस के कारण वह अपने गौरव मयी अतीत से न तो परिचित हो पाता है और न ही उसका अनुसरण करके एक श्रेष्ठ नागरिक ही बन पाता है।
आजकल के दूषित वातावरण में मांसाहार, व्यसनों के प्रति आकर्षण, अश्लीलता को भड़काने वाले दृश्य आदि को प्रोत्साहन मिलता है लेकिन जीवन के उत्थान, नीति पूर्ण आचरण, सफलता के सुलभ उपाय, आज के गतिमान युग में बढ़ रहे चिन्ता-तनावों से बचने के नुस्खे,माता-पिता, अध्यापक सबके प्रिय बनने की युक्तियाँ आदि बातों का वर्त्तमान शिक्षा में नितांत अभाव है।