
छुरिया से राधेश्याम शर्मा की रिपोर्ट
गुरु और शिष्य का अटूट रिश्ता आज भी कायम है। कवर्धा जैसे शहर में शिष्य ने अपने गुरु को पाकर दोनों हुए भावुक
छुरिया।आज से लगभग 36 वर्ष पहले 1987 में शासकीय प्राथमिक शाला कल्लूटोला में शिक्षक के पद पर श्री शिवकुमार सिन्हा पदस्थ थे। और लगभग 3 साल पढ़ाने के बाद उनका स्थानांतरण हो गया उसी का पढ़ाया हुआ एक छात्र उद्धव ठाकुर ग्राम कल्लूटोला का रहने वाला है,जो आज हायर सेकेंडरी स्कूल टाटेकसा अम्बागढ़ चौकी मे व्याख्याता के पद पर पदस्थ हैं,

और आज 36 बरस पहले प्राथमिक शाला में उनके गुरु श्री शिव कुमार सिन्हा का पढ़ाया हुआ एक-एक बात ,उनके साथ गुजारा हुआ पल आज भी उनको याद है और उनके मन में अपने गुरु के प्रति श्रद्धा भक्ति कूट-कूट कर भरा हुआ है और बार-बार उनसे मिलने के लिए उनका मन करता रहा लेकिन उनके पास ना कोई पता था ना कोई ठिकाना न कोई नम्बर बस इतना ही पता था कि वह कबीरधाम जिले के कवर्धा के निवासी हैं l 24 दिसंबर
2024 को अपने गुरु को ढूंढने के लिए परिवार सहित कवर्धा निकल पड़े और कवर्धा में इस गली से उस गली ढूंढते हुए निश्चित ही उनकी श्रद्धा भक्ति और उनके विश्वास ने अपने गुरु को कैलाश नगर कवर्धा में ढूंढ लिया पूरे परिवार के साथ अपने गुरु से मिलकर गुरु और शिष्य दोनों भाव विभोर हो गए, 36 बरस पहले प्राथमिक शाला में पढ़ने वाला बच्चा उस समय उनका उम्र महज 11 वर्ष था कक्षा 5 वी का छात्र था जबकि उस समय बच्चा अपना ठीक से होश नहीं संभाला होता है, लेकिन आज उनकी गुरू भक्ति ने यह सिद्ध कर दिया की गुरु और शिष्य के बीच क्या रिश्ता होता है, गुरु के प्रति सम्मान श्रद्धा भक्ति आज देखने को मिली।
श्री शिव कुमार सिन्हा ने कहा कि उन्होंने मात्र 19 वर्ष की उम्र में शिक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे ।अभी भी उनकी नौकरी 4 साल बाकी है। उन्होंने बताया कि कल्लूटोला में जो प्यार स्नेह मिला है, वह प्यार मुझे जीवन में और कहीं नहीं मिला ।यहां की लोगों का स्नेह मैं जीवन भर नहीं भूल पाऊंगा ।गांव के सभी प्रमुख सियान के बारे में विस्तार पूर्वक सब के बारे में पूछे ,साथ ही अपने द्वारा पढ़ाया गया सभी बच्चों के बारे में भी उन्होंने जानकारी लिया।उन्होंने अपने खुद के बच्चों को बताया कि छुरिया क्षेत्र में शिक्षा का उस समय शहरों से भी बेहतर माहौल था ।छात्र और छात्राएं 20 से 25 किलोमीटर साइकिल से छुरिया में पढ़ने आते थे।उद्धव ठाकुर ने पूरे परिवार को साथ लेकर अपने गुरु से मिलने गए थे उनके गुरु सिन्हा सर ने अपने शिष्य को चांदी का सिक्का भेंट किया। गुरु के द्वारा दिया गया उपहार से उद्धव ठाकुर फुला ना समाया वह गदगद हो गया। उद्धव ठाकुर अपने गुरू सिन्हा सर के स्नेह को सभी इष्ट मित्रों व परिवार वालों को साजा करते करते भावनात्मक हो जाता है।

उद्धव ठाकुर ने बताया कि किसी भी सफल इंसान के लिए प्राथमिक स्तर की पढ़ाई सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि वही एक ऐसा स्तर होता है जो बच्चों के नींव को मजबूत करता है अर्थात उसकी भविष्य इस पर टिका होता है इसलिए उन्होंने अपने गुरु श्री शिवकुमार सिन्हा सर को अपने भविष्य का निर्माता बताएं आज भी जो भी कुछ भी हूं उन्हीं की कृपा हैl उद्धव ठाकुर ने 36साल बाद मिले अपने गुरू और उनकी पत्नि का परिवार सहित चरण पखार कर, श्री फल भेट कर,फूल माला पहनाकर पूजा अर्चना भी किया।