उत्तर प्रदेश

अब विकास भवन के कार्मिक बचा सकते हैं किसी की जान, सीडीओ की पहल पर दी गई सीपीआर ट्रेनिंग

दिल की धड़कन रुके तो सीपीआर से बच सकती है जान

सीडीओ ने कार्मिकों संग स्वयं भी सीपीआर ट्रेनिंग

अफज़ल अली लखीमपुर खीरी जिला ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट

लखीमपुर खीरी। बीते कुछ सालों में कार्डियक अरेस्ट के मामले बढ़े हैं। कुछ केस तो इतने अचानक से हुए हैं कि किसी को भी चिकित्सक को बुलाने या कुछ संभालने का मौका ही नहीं मिला। हार्टअटैक की स्थिति में व्यक्ति को तुरंत सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है।

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कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में मरीज की जान बचाने के लिए सीडीओ अभिषेक कुमार ने अनूठी पहल शुरू की है। इस पहल में विकास भवन में संचालित सभी दफ्तरों के अधिकारी-कर्मचारियों को सीपीआर यानी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर ) की ट्रेनिंग प्रदान की गई। सीडीओ अभिषेक कुमार ने अधिकारियों कर्मचारियों के साथ स्वयं भी सीपीआर ट्रेनिंग ली।

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सीडीओ ने अधिकारी,कर्मचारियों से अपील की कि सभी को यह ट्रेनिंग लेनी चाहिए, ताकि आप किसी के मुसीबत में काम आ सके। सीपीआर एक इमरजेंसी लाइफ सेवर प्रक्रिया है, जिसे तब किया जाता है जब दिल धड़कना बंद कर देता है। सीपीआर देने का तरीका सभी को मालूम होना चाहिए, क्योंकि हृदय गति कहीं भी रुक सकती है।

कहीं भी दुर्घटना या कार्डियक अरेस्ट के चलते मृत्यु हो सकती है। ऐसे में सीपीआर जीवन बचाने में एक बड़ा प्रयास हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि हृदय गति रुकने जैसी कंडीशन में सीपीआर देकर लोगों की जान बचाई जा सकती है।

सीडीओ अभिषेक कुमार ने विकास भवन में कुशल चिकित्सक बुलवाया, जिन्होंने विकास भवन के प्रांगण में सीडीओ अभिषेक कुमार की मौजूदगी में हार्ट अटैक आने पर चंद मिनट के अंदर सीपीआर के जरिए किसी की जान बचाने का तरीका बताया। उन्होंने इसका लाइव डेमो देते हुए बताया कि किस तरह मरीज को सीपीआर दी जा सकती है।

सीडीओ की पहल पर अधिकारी कर्मचारियों का हुआ स्वास्थ्य परीक्षण

सीडीओ अभिषेक कुमार ने अनूठी पहल करते हुए विकास भवन में हेल्थ चेकअप कैंप लगवाया। सभी अधिकारी, कर्मचारियों का मेडिकल चेकअप एवं महत्वपूर्ण जांच (बीपी, शुगर सहित स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य जरूरी जांचे)भी करवाई। इसके बाद चिकित्सकों ने उचित परामर्श एवं औषधीय भी प्रदान की।

कार्मिकों को तनाव मुक्त रखने के लिए योग प्रशिक्षण भी दिया गया। सीडीओ अभिषेक कुमार ने कहा कि कार्मिकों को कामकाज के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कार्यस्थल पर अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के अनेक लाभ भी बताए।

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